Saturday, March 20, 2010

ढाई आखर प्रेम का

ज़िन्दगी की भागदौड़ में आज प्रेम न जाने कहाँ खो गया है? आज लोगों के लिए प्रेम के मायने बदल गए हैं, और सही मायनो में प्रेम क्या है इसके बारे में सोचने का किसी के भी पास वक़्त नहीं है। एक समय था जब इंसान के लिए प्रेम ही सब कुछ होता था पर आज प्रेम की हैसियत उतनी ही रह गयी है, जितनी घर में किसी पुराने बेकार सामान की होती है। कहने को तो हर कोई प्रेम की अपनी-अपनी परिभाषा बताता है, पर प्रेम को किसी एक परिभाषा में, बांधना न पहले मुमकिन था और न आज मुमकिन है। इसी प्रेम की व्याख्या कभी कुछ महान कवियों ने की थी, उसी का एक छोटा सा अंश रखना मेरे लिए गौरव की बात है।



दो मन अनजाने खिंचे, बरबस ही मिल जाये।
अद्भुत शक्ति प्रेम की, जो जाने सो पाए॥
नाता अजब है प्रेम का, जितने भी हों दूर।
बढ़े निकता आप ही, चाह मिलन भरपूर॥
गुण अवगुण परखे बिना अपना जो हो जाये।
मिलते मन अनायास जब, प्रेम वही कहलाये॥
व्यक्त होते नहीं शब्द में, प्रेम के बोल अबोल।
नयन कहत मन सुनत हैं, अंतर के पट खोल॥
रिश्ता नाता प्रेम का, बिना छुए जुड़ जाये।
एक जनम की क्या कहें, अनंत जनम सिरजाये॥
कहना चाहे मन बहुत, भूल जाये पिय देख।
दशा अनोखी प्रेम की, सत्य कहे मन लेख॥
मुड-मुड पिय को देखना, लाज लगे हस देय।
अनुभव मीठे प्रेम के हसे फसे सो लेय॥
जाने पर कह सके नहीं, प्रेमी प्रेम का रोग।
लाख छुपाये फिरत पर, भेद खोलते लोग॥
रहे दूर मन में बसे, पास लगे बहु दूर।
प्रेम का मंतर तोड़ता, अंतर का दस्तूर॥
प्रेम ढिंढोरा न पीटीए, परख लीजिये साज़।
वाणी कुछ न कहत पर, नयन खोलते राज़॥
डगर सुहानी प्रेम की, जहाँ ठगी न होए।
ठगी होय जिस डगर पर, प्रेम डगर न सोय॥
रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाए।
जोड़े से फिर न जुड़े, जुड़े गांठ पड़ी जाये॥
कहना मन सब चाहता, सबसे रहा छुपाये।
अनजाना अनकहा ये, नाता प्रेम कहाए॥
जीवन के हर मोड़ पर, प्रेम प्रेरणा देत।
हित की बात करे सदा, बदले कुछ न लेत॥
परिभाषा बहु प्रेम की, देश काल अनुसार।
अर्थ न बदला प्रेम का, बदला सब संसार॥
क्या उपमा दूँ प्रेम को, प्रेम प्रेम कहलाये।
यदि उपमा दूँ प्रेम को, प्रेम झूठ हो जाये॥
प्रेम है इक आराधना, सफल साधना ज्ञान।
बिना प्रेम के सत्य कहें, सफल नहीं इंसान॥
पोथी पढ़-पढ़ जग मुआ, पंडित भया न कोय।
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय॥



यह तो मात्र कुछ पंक्तियाँ है। प्रेम के बारे में बात की जाये जो शायद सात जन्म भी कम पड़ जाएँ।